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निपट गंवई छोरा अमेरिकी साइंटिस्ट जैसा बोल रहा

 


 
 

महज 14 साल के हाईस्कूल के एक ग्रामीण दलित छात्र ने बड़े-बड़े गणित व फिजिक्स के फार्मूलों को चंद ही मिनटों में सिद्ध करके विद्वानों को आश्चर्य में डाल दिया है। इसके चलते लोग इस निर्धन बालक को किसी अमेरिकी वैज्ञानिक का रूप मान रहे हैं। फर्राटे से अंग्रेजी बोलने वाला यह विलक्षण प्रतिभा का धनी छात्र रामपुर मनिहारान कस्बे के विलियम डेफरसन क्लिंटन साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर में कक्षा 10 का छात्र है। इसको लेकर दिन भर कस्बे में तरह-तरह की चर्चा व मीडिया का तांता लगा रहा।
राजेश कुमार नाम के इस 14 वर्षीय छात्र का जन्म नागल थाना क्षेत्र के विलासपुर गांव में सोमपाल सिंह के यहां सन् 1992 में हुआ। राजेश के परिवार में मां-बाप सोमपाल के अलावा बड़ा भाई मनोज है। इस निर्धन परिवार में बाप सोमपाल मजदूरी करता है। इसके साथ पढ़ने वाले छात्रों ने बताया कि जब यह छात्र गत वर्ष 9वीं कक्षा में कालेज में दाखिला लेने आया तो इसके पास कालेज की फीस के लिए तेरह सौ रूपये भी नहीं थे और छात्रों ने ही पैसे एकत्रित कर राजेश का कालेज में दाखिला कराया था। राजेश की प्रारंभिक शिक्षा नागल के रामकृष्ण परमहंस स्कूल में हुई।
इसके बाद यह रामपुर के डब्लूजेसी साइंस एंड टेक्नोलॉजी में आया। रामपुर के निकट पड़ने वाले गांव मनानी में राजेश अपनी बुआ सुरेशो के घर रहता है। गुरूजनों द्वारा 15 व 20 मिनट का समय लगने वाले सवालों को यह छात्र मात्र 2 मिनट में ही उंगलियों पर हल कर रहा है। राजेश ने बीते दो वर्ष पहले गर्मी की छुटि्टयों में जब घर बन रहा था तो इसके बाप ने निर्माणाधीन कच्ची दीवार गिरा दी तो उसने ईंट उठाकर अपने बाप के सिर पर मार दी। उस घटना में बाप के सिर में खून देखकर वह ढाई माह तक किसी से नहीं बोला और गुमसुम रहने लगा। गरीबी के चलते इसका इलाज भी नहीं हुआ। कुछ माह बाद जब राजेश ने खुद व खुद बोलना शुरू किया तो हिंदी भूल गया और अंग्रेजी में बोलना चालू कर दिया जबकि उसको गांव के परिवेश में अंग्रेजी का केवल कक्षा 5 तक का ही ज्ञान था। दलित छात्र राजेश कुमार अपने को बेलिस रिगार्डे बता रहा है और यह पुनर्जन्म में विश्वास नहीं करता है। राजेश ने फिजिक्स, मैथ पर काफी रिसर्च की है। राजेश की मेमोरी पर किताब डाइग्राम लिखी है। राजेश अब हिंदी को पूरी तरह से भूल गया है। यह अंग्रेजी में लिखता, पढ़ता और बोलता है।

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