डाइलेक्सिया यानी अपभ्रंश
तारे जमीं पर
ईशान त्रिवेदी (दर्शील सफारी) एक ऐसी बीमारी से ग्रस्त है जिसे शब्द याद नहीं रहते जिससे वह स्कूल में हमेशा पीछे रहता है। इस बीमारी को डिसलेक्सिरा कहा जाता है। अल्बर्ट आइन्स्टाइन, मशहूर चित्रकार वेन गॉग और आज के सफल सितारे अभिषेक बच्चन इसी बीमारी से ग्रस्त थे। ईशान के माता-पिता तो उसकी बीमारी को समझते ही नहीं, उसके शिक्षकों और दोस्तों को भी उसकी बीमारी के बारे में कुछ पता नहीं है। वह हमेशा बड़े बच्चों का शिकार बनता है। उसके माता-पिता भी उससे परेशान है। उन्हें लगता है कि वह मस्ती करना चाहता है इसलिए उसे सबक सिखाने के लिए बोर्डिंग स्कूल भेजा जाता है। वहाँ पर भी शिक्षक उसे बेकार समझते है। ऐसे में उस स्कूल में रामशंकर निकुंभ (आमिर खान) चित्रकला के टीचर के रूप में आ जाते हैं। निकुंभ ईशान की जानकारी इकट्ठा कर उसे मदद करते हैं क्योंकि बचपन में वे भी इसी बीमारी का शिकार हुए थे। वह ईशान में आत्मविश्वास जगाते हैं और वहीं पर फिल्म खत्म होती है। दब्बू बच्चा ईशान किस तरह एक होनहार होनहार ईशान में बदलता है, इस यथार्थ को आमिर ने बहुत ही खूबसूरती से परदे पर उतारा है।